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    इतिहास

    उमरिया (तत्कालीन बांधवगढ़ तहसील) जिले का इतिहास प्राचीन एवं गौरवशाली है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (टाइगर रिजर्व) और बांधवगढ़ किला भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। यदि स्थानीय लोगों की बात पर विश्वास किया जाए तो भगवान राम ने लंका पर निगरानी रखने के लिए बांधवगढ़ का किला लक्ष्मण को सौंप दिया था। तभी से इस स्थान को बांधवगढ़ के नाम से जाना जाने लगा। समय बीतने के साथ बांधवगढ़ पर कल्चुरी रियासत का शासन हो गया।

    जिला उमरिया (बांधवगढ़) में न्याय प्रशासन का इतिहास पुराने समय से चला आ रहा है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि इसका संबंध 615 ई. से है। न्यायिक व्यवस्था की पुरानी और अनूठी विरासत के निशान बांधवगढ़ किले के अवशेषों में देखे जा सकते हैं, जहां इसके एक हिस्से में “कचेहरी” के निशान हैं, जो चट्टानों को काटकर बनाए गए थे। इसकी दीवार पर आज भी कचेहरी शब्द अंकित देखा जा सकता है।